भारत सरकार ने इस हफ्ते नागरिक कानून (CAA) की अधिसूचना जारी कर दी है | साल 2019 में बने इस नागरिकता कानून ( CAA) को भारत सरकार ने लागु करने का फैसला किया है | जब ये कानून बना था तो इसे लेकर देश के अनेक हिस्सों में विरोध प्रद्रशन हुए थे | मानव अधिकार के लिए काम करने वाली संस्थाए और सामाजिक कार्यकर्ताओ ने इसे देश के सविंधान के खिलाफ बताया था | CAA को लेकर देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी चर्चा है | न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार यूनाइटेड नेशन और अमेरिका ने इस पर चिंता जाहिर की है | सयुंक्त राष्ट्र ने कहा है ये कानून मूल रूप से भेदभाव करने वाला कानून है | 1. सयुंक्त राष्ट्र मानवअधिर उच्चायुक्त – जैसा की हमने 2019 में कहा था, हम चिंतित है की भारत नागरिकता (संसोधन) अधिनियम 2019 ( CAA) मूल रूप से भेदभावपूर्ण है और भारत के अंतरास्ट्रीय मानवाधिकार के दायित्वों का उलंघन है ‘ 2. अमेरिका विदेश मंत्रालय – हम नागरिकता संसोधन नियम की अधिसूचना को लेकर चिंतित है । हम बारीकी से देख रहे है की यह अधिनियम कैसे लागू किया जाएगा । 3. रॉयटर्स – ‘ सामाजिक कार्यकर्ता ये मानते हैं की नेशनल सिटीजन रजिस्टर्स के साथ इस कानून को मिलकर भारत के 20 करोड़ मुसलमानो से भेदभाव किया जाएगा । कुछ को ये भी दर है की इससे अनेक मुसलमान जो सीमा के पास के राज्यों में रहते है और जिनके पास दस्तावेज नहीं है , उनकी नागरिकता जा सकती है ‘ 4. एमनेस्टी इंटरनेशनल – CAA धर्म के आधार पर भेदभाव को जायज बनाता है | यह अधिनियम अपनी सरचना में ही भेदभाव वाला है | ये कानून श्रीलंका के मुसलमानो और तमिल के प्रति भेदभाव करता है | नेपाल और भूटान जैसे देशो के प्रवासियों को नागरिकता से दूर रखता है | 5. न्यूयोर्क टाइम्स – भारत में चुनावो से कुछ हफ्ते पहले नागरिकता कानून लागू किया जा रहा है | भारत में अप्रैल – मई में चुनाव होने है और चुनाव की तारीखों की घोषणा इसी महीने होने वाली है | मोदी ने इससे साफ़ कर दिया है वो भारत के गणतंत्र को अपने तरीके से परिभासित करना चाहते है | उनके hindu-first विज़न को लेकर वो किसी का विरोध बरदाशत नहीं करेंगे | 6. एसोसिएट प्रेस – कानून को मई में होने वाले आम चुनाव से पहले लागु किया जा रहा है और भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख चुनावी वादों में से एक रहा था | मोदी सरकार तर्क दे रही है की ये कानून पडोशी देशो में धर्म के आधार पर प्रताड़ित लोगो को शरण देगा लेकिन इससे भारत के मुसलमानो को कोई खतरा नहीं है | लेकिन नेशनल सिटीजेनरजिस्टर भी मोदी सरकार की नीतियों का हिस्सा है जिसके जरिये भारत से गैर – कानूनी मुसलमानो निकालने का प्लान तैयार किया गया है | इसे अभी केवल असम में लागू किया गाय है | 7. अल – जजीरा – CAA के आने से पहले भारत में नागरिकता पाने का आधार धार्मिक पह्छां नहीं हुआ करती थी | जो भी नागरिकता चाहता था उसे बस ये दिखाना था की वह कानूनी तरीके से भारत में आये है और 11 साल से भारत में रह रहे है | नागरिकता के लिए यही नियम थे बात अगर CAA करे तो 2019 में ये कानून बना था और इसे लागू करने में चार साल से ज्यादा समय लगा | इस कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आये हिन्दू ,सिख ,बौध ,जैन पारसी और ईसाई समुदाय के लोगो को भारत की नागरिकता दी जायेगी |